Bihar सरकार ने राज्य के पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समग्र गव्य विकास योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत, किसानों और बेरोजगार युवाओं को डेयरी इकाई स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें और राज्य में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो।
Bihar Samagra Gavya Vikas Yojana
समग्र गव्य विकास योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में डेयरी उद्योग को प्रोत्साहित करना, पशुपालकों की आय में वृद्धि करना, और बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। इसके माध्यम से, सरकार दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ाकर दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना चाहती है।
योजना के लाभ
इस योजना के अंतर्गत, लाभार्थियों को डेयरी इकाई स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। उदाहरण के लिए, दो दुधारू मवेशियों की इकाई के लिए लगभग ₹1,74,000 की लागत आती है, जिसमें से अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, और जनजाति के लाभार्थियों को 75% (₹1,30,500) तक का अनुदान मिलता है, जबकि अन्य वर्गों के लिए यह अनुदान 50% (₹87,000) तक होता है। इसी प्रकार, चार दुधारू मवेशियों की इकाई के लिए भी अनुदान प्रदान किया जाता है।
पात्रता मानदंड
इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी:
- आवेदक बिहार का स्थायी निवासी होना चाहिए।
- आवेदक की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
- ग्रामीण क्षेत्रों के किसान, बेरोजगार युवा, और महिलाएं आवेदन के पात्र हैं।
- आवेदक के पास डेयरी इकाई स्थापित करने के लिए आवश्यक भूमि होनी चाहिए।
आवेदन प्रक्रिया
इस योजना के लिए आवेदन ऑनलाइन माध्यम से किया जा सकता है। आवेदन करने के लिए, आवेदक को गव्य विकास निदेशालय, बिहार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण करना होगा। पंजीकरण के बाद, आवश्यक दस्तावेज़ों के साथ आवेदन पत्र भरकर जमा करना होगा। आवेदन की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर 2024 निर्धारित की गई है।
आवश्यक दस्तावेज़
आवेदन के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी:
- आधार कार्ड
- भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र
- बैंक खाता विवरण
- पासपोर्ट साइज फोटो
- बैंक से डिफॉल्टर नहीं होने का शपथ पत्र
- परियोजना प्रतिवेदन
निष्कर्ष
समग्र गव्य विकास योजना बिहार सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो राज्य के पशुपालकों और बेरोजगार युवाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद करती है। इस योजना के माध्यम से, न केवल दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। इच्छुक लाभार्थियों को समय पर आवेदन करके इस योजना का लाभ उठाना चाहिए।
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